आलसी लड़के की कहानी
Aalsi Ladke Ki Kahin Motivational Story In Hindi Here, You Can Read Latest Collection Short Motivational Speech In Hindi For Students Life Lessons Motivational Quotes Success Story And Tips
Motivational Story In Hindi – एक बहुत ही भोला भाला सा आलसी लड़का था वह कोई काम नहीं करना चाहता था। बस खाना खाता, घूमता और सोते रहता था। एक दिन उसे किसी ने बताया की एक आश्रम है जहा पर कुछ नहीं करना पड़ता है और हर दिन दो समय का खाना और नास्ता मिलता है तुम वहा जा करके रहो।
उस आलसी लड़के ने सोचा की ये तो बहुत ही बढ़िया है और वह उस आश्रम में जाकर रहने को सोचा और फिर वह भोला भाला आलसी लड़का अपना सारा सांसारिक जीवन छोड़कर उस आश्रम में जाकर रहने लगा।
आश्रम में गुरु जी रहते थे वह कुछ समय सबको प्रवचन देते है वह आलसी लड़का सुनता था बाकि समय आराम करता था और फिर भर पेट खाना खाकर सो जाता था।
ऐसे ही उस लड़के का दिन गुजरता गया। एक दिन उस आश्रम में कुछ भी नहीं बना। नास्ते के समय नास्ता नहीं मिला उसने सोचा नास्ता नहीं मिला भोजन तो मिलेगा। अब भोजन के समय भी उसे भोजन नहीं मिला। लड़का दौड़ करके गुरु जी के पास गया और उसने पूछा की आज भोजन क्यों नहीं बना।
गुरु जी ने कहा की बेटा आज एकादशी है और जितने भी आश्रम के सदस्य है उनका उपवास है और तुम्हारा भी आज उपवास है आज भोजन नहीं बनेगा। वह लड़का आलसी था और उसे भूख भी बहुत लगता था उसने गुरूजी से बोला की मै उपवास नहीं रहूँगा मुझे भूख लगी है मै खाना खाऊंगा।
गुरूजी ने बोला ठीक है जाओ भंडारे में से सामान ले करके आओ और आश्रम में नहीं बाहर ले जा करके बना लो लेकिन याद रखना भोजन बनाने के बाद सबसे पहला भोग भगवान को लगाना और फिर तुम प्रसाद पाना।
वह लड़का बोला ठीक है और फिर आनाज लेकर नदी की ओर पंहुचा। भोजन पकाने लगा, तैयार हुआ उसके बाद कहने लगा की भगवान श्रीराम आईये पधारिये भोग लगाइये। अब जब उसे लगा की भगवान तो आ नहीं रहे है तो फिर कहने लगा की मुझे मालूम है आपको तो अच्छा खाने की आदत है मै बना नहीं पाया और मुझे अच्छा भोजन बनाने भी नहीं आता लेकिन जो भी रुखा सूखा बना है आकर खा लीजिये।
भगवान श्रीराम उसकी सरलता पर बहुत ही प्रसन्न हुए और उस लड़के को दर्शन दे दिए उसने देखा की भगवान श्रीराम आये हुए है और उनके साथ में माता सीता भी आयी हुयी है। लेकिन लड़के ने सिर्फ दो लोगो के लिए ही भोजन बनाया था एक अपने लिए और दूसरा भगवान के लिए और अब क्योकि भगवान के साथ माता सीता भी आयी हुयी थी तो उसने उस भोजन को माता सीता और भगवान के सामने ग्रहण करने के लिए रख दिया।
भगवान श्रीराम और माता सीता ने भोजन किया और उसके बाद जब वह जाने लगे तो यह भोला सा आलसी सा लड़का बोला की प्रभु आप आये दर्शन दिए बहुत अच्छा लगा, मुझे खाने को कुछ नहीं मिला लेकिन कोई बात नहीं लेकिन आपसे एक विनती है की अगली बार जब आप आएंगे तो कितने लोग आएंगे ये बता दीजिये ताकि मै उतने लोगो के लिए भोजन बनाकर रखा रहू। भगवान श्रीराम मन ही मन मुस्कुराये और फिर अंतर ध्यान हो गए।
लड़का आश्रम गया, दिन बीतता गया और फिर एकादशी का दिन आया और इस बार उसने तीन चार लोगो के लिए आनाज ले करके खाना बनाने के लिए नदी के किनारे पंहुचा और उसने बड़े प्रसन्नता से भोजन बनाया और इंतजार करने लगा की प्रभु आईये और भोग लगाइये।
इस बार लड़का देखता है की भगवान श्रीराम पूरा राम दरवार ले करके आये है जैसे, माता सीता, लक्ष्मण, भरत, हनुमान जी और सभी लोग आये है। लड़के ने 3-4 लोगो का भोजन बनाया था और इस बार भी भोजन कम पड़ गया लड़के ने निराश होकर भोजन को प्रभु के आगे रख दिया उन्होंने भोजन किया और फिर चले गए और इस बार भी लड़का फिर से भूख रह गया।
अब लड़का फिर आश्रम गया, दिन बीतता गया और फिर एकादशी का दिन आया और इस बार गुरु जी से कहने लगा की गुरु जी मुझे इस बार थोड़ा ज्यादा आनाज चाहिए। गुरूजी सोचने लगे की यह इतना सारा आनाज का करता क्या है कही इसे बेचता तो नहीं है फिर उन्होंने कहा की ठीक है भूख से परेशान रहता है। लड़के ने कहा की नहीं गुरूजी मै भूख से परेशान नहीं रहता हूँ प्रभु के साथ बहुत लोग आते है उनको भी तो भोजन करना पड़ता है।
गुरूजी को लगा की लड़का पागल हो गया है लेकिन गुरूजी ने सोचा की चलो एक बार चलकर देखते ही की लड़का इस आनाज का करता क्या है। वह भोला सा लड़का आनाज ले करके नदी के किनारे पंहुचा और इस बार भोजन बनाया नहीं उसने सोचा की प्रभु हर बार ज्यादा लोगो को ले करके आते है इस बार वह जितने भी आएंगे खुद बना करके भोग लगा लेंगे और फिर प्रेम से प्रभु को बुलाने लगा।
गुरूजी ये सब छुपकर देख रहे थे की ये भोजन तो बनाया नहीं और प्रभु को बुला रहा है। लेकिन लड़के ने देखा की इस बार प्रभु के साथ बहुत से लोग आये हुए है तो उसने प्रभु के सामने हाथ जोड़ करके कहा की प्रभु माफ़ करना आप बहुत सारे लोग आते हो मुझे संख्या पता नहीं होती है और मेरी हिम्मत भी नहीं होती है की इतने सारे लोगो के लिए भोजन बनाऊ। आप स्वयं आईये बनाइये खाइये और भोग लगाइये। प्रभु मुस्कुराते है और अपने साथ आये सभी लोगो के साथ मिल करके भोजन बनाते है।
गुरूजी ये सब छुप करके देखते है और फिर लड़के के पास आ करके कहते है की तुम ये कर क्या रहे हो। लड़का कहता है की गुरूजी आपको दिख नहीं रहा है की भगवान श्रीराम पधार चुके है माँ सीता आयी हुयी है हनुमान जी आये है और भी सभी लोग आये हुए है भोजन बन रह है।
गुरूजी ने बोला की पागल हो गया है मुझे तो कोई दिख नहीं रहा है। लड़का गुस्सा हो गया और बोला प्रभु आप ये क्या कर रहे हो एक तो मुझे भूखा रखा है और गुरूजी को दर्शन नहीं दे रहे हो जो मुझे पागल समझ रहे है कृपा करके गुरूजी को दिख जाओ।
भगवान बोले नहीं मै इन्हे नहीं दिख सकता, लड़का बोला क्यों नहीं दिख सकते मेरे गुरूजी तो बहुत महान है बहुत बड़े ज्ञानी और ज्ञाता है। भगवान बोले हां ज्ञानी और ज्ञाता होंगे लेकिन तुम्हारी तरह सरल नहीं है। जो सरलता तुम में है वो तुम्हारे गुरूजी में नहीं है।
लड़के ने ये बात गुरुजी से कह दी की भगवान श्रीराम कह रहे है की आप में सरलता नहीं है आप मेरी तरह सरल नहीं है इसलिए आपको नहीं दिख सकते।
गुरूजी की आँखे नम हो गयी और रोने लगे की और बोले की बिलकुल सही कहा मेरे अंदर तुम्हारे जितना सरलता नहीं है और फिर माफ़ी मांगने लगे फिर भगवान ने गुरूजी को भी दर्शन दिए।
ये कहानी हमें सिखाती है की जीवन में सरलता सबसे आवश्यक है जितने सरल बने रहेंगे उतना जीवन में आगे बढ़ते चले जायेगे। जब आप सरल होते है तो आप खुद भी मुस्कुराते है और दुसरो को भी मुस्कुराने की वजह देते है।
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