भूतिया रेलवे स्टेशन की कहानी
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Bhutiya Railway Station Ki Kahani – वैशाली की दादी को सुगर है डॉक्टर ने उन्हें सुबह शाम टहलने की सलाह दी थी इसीलिए वैशाली अपनी दादी को रोजाना रेलवे स्टेशन तक घुमाने ले जाती थी। वैसे तो हरिपुर गांव की रेलवे स्टेशन खाली पड़ी रहती थी लेकिन एक दिन वैशाली और उसकी दादी को रेलवे स्टेशन पर बहुत चहल-पहल दिखाई दी और तभी दोनों को स्टेशन पर खड़ी कुछ औरते बुलाती है।
दादी – देखो हमें वो औरते बुला रही है चलो उनके पास कुछ बाते करते है थोड़ा टाइम पास हो जायेगा।
इधर वैशाली के माता-पिता (दीनदयाल) दोनों का इंतजार कर रहे थे।
दीनदयाल – माँ जी और वैशाली कहा रह गए।
माँ – मुझे चिंता हो रही है आप जरा देखने चले जाईये।
दीनदयाल वैशाली और अपनी माँ को देखने जाते है तभी वो देखते है दोनों रेल की पटरियों पर पड़ी है और उनके सर पर चोट के निशान भी है। सपना उसके पति रमेश आज पहली बार अपने भईया (दीनदयाल) के नए घर हरिपुर जा रहे थे।
सपना – अजी जल्दी चलिए हरिपुर मात्र एक ट्रैन जाती है और वो भी छूट गयी तो हम वहा नहीं पहुंच पाएंगे।
रमेश – हां बस तैयार हो गया थोड़ा खाना खा लू फिर चलते है।
ट्रैन सपना और रमेश को रात के 11 बजे हरिपुर स्टेशन पर उतारकर चली जाती है तभी एक अजीब सा बूढ़ा आदमी जिसका सकल डरावना सा है वह चाय लिए उसके पास आता है और चाय के लिए पूछता है सपना चाय के लिए मना कर देती है और दोनों कुछ और आगे बढ़ जाते है।
अब एक औरत उनके पास आती है औरत के चेहरे पर घाव के निशान होते है और पैर उलटी थी उसे देखते ही सपना और रमेश तेजी से दौड़ते हुए भागने लगते है। सपना और रमेश स्टेशन के बहार निकल जाते है। सपना का भाई दीनदयाल वहा पर दोनों का इंतजार कर रहे होते है। दीनदयाल दोनों को लेकर घर आता है तभी सपना और रमेश देखते है दीनदयाल की बेटी और माँ खटिया पर पड़े हुए है उनके सरीर पर और सर पर कई जगह पट्टी लगी हुई है।
दीनदयाल – क्या बताऊ बहन जब से इस गांव में आये है तब से हमारे घर कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है सोचा था की हमारे दादा, परदादा यहाँ रहे है तो हमें भी शहर से वापस आकर यहाँ रहना चाहिए। एक सप्ताह पहले ये दोनों टहलने स्टेशन तक गयी थी मैंने देखा की वो दोनों पटरियों पर पड़ी हुयी है, मैं अगर थोड़ी देर बाद पहुँचता तो उनका सारा खून बह जाता ऐसा लग रहा है जैसे कुछ लोगो ने इन्हे उठाकर फेंका है मुझे तो समझ नहीं आ रहा है की भला कौन हमारा दुश्मन हो सकता है।
सपना – हमारे साथ भी उस स्टेशन पर कुछ अजीब घटनाये हुयी जो भी मिला वह अंग्रेज साहब, अंग्रेज साहब कह रहा था।
रमेश – क्यों न हम गांव के किसी बुजुर्ग के पास जाकर उस स्टेशन के बारे में पूछ-ताछ करे।
रमेश, सपना और दीनदयाल तीनो गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति चुन्नी लाल काका के पास जाते है।
चुन्नी लाल – ये घटना इतिहास में दर्ज नहीं है मेरे जैसे कुछ गिने-चुने ही जानते है, दीनदयाल तुम्हारे दादा ठाकुर भीम सिंह अंग्रेजो के बंगलो पर नौकरी करते थे आजादी की लड़ाई चल रही थी। 1940 में गांव के अंग्रेजो के खिलाफ मोर्चा निकला तो तुम्हारे दादा ने अंग्रेजो को खबर कर दी वो अंग्रेजो के साथ मिल गये।
जब अंग्रेजी सैनिक आये तो क्रांतकारी स्टेशन पर छिप गए अंग्रेजो ने स्टेशन पर खूब गोला बारूद बरसाया और फिर सारे क्रांतकारी मारे गए तब से उनकी आत्माये स्टेशन पर भटक रही है अगर तुम अपने परिवार की सलामती चाहते हो तो इस स्टेशन पर शांति यग्ग करवाओ। दीनदयाल गांव के लोगो को बुलाकर घोषणा करता है।
दीनदयाल – मैं अपनी जमीन गांव में एक म्युसियम बनवाने के लिए दान करता हूँ इस म्युसियम में उन सभी क्रांतिकारियों की स्मारक बनेंगी जो 1940 में इस स्टेशन पर मारे गए थे।
दीनदयाल गांव में म्युसियम बनवाता है और फिर स्टेशन पर शांति यग्ग करवाता है और फिर उसके बाद से हरिपुर स्टेशन पर डरावनी घटनाये होना बंद हो जाती है।
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