भूतिया सेक्रेटरी की कहानी

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भूतिया सेक्रेटरी की कहानी - Bhootiya Horror Story In Hindi

विवेक और श्रद्धा की शादी को कुछ ही दिन हुए थे और वो आज दोनों अपने हनीमून के लिए होटल में जा रहे थे।

श्रद्धा – विवेक अभी होटल कितनी दूर है। विवेक – ज्यादा नहीं बस यहाँ से 56 km दूर है।

श्रद्धा – इतनी दूर, बस हम दोनों सही टाइम पर पहुंच जाये मौसम बहुत ही खराब है कही बारिश सुरु ना हो जाये।

श्रद्धा के कहते ही जोर की बिजली कड़की और बारिश सुरु हो गयी।

विवेक – कुछ और ही बोल देती वो भी सच हो जाता देखो ना तुमने अभी कहा ही था की बारिश सुरु हो गयी।

श्रद्धा – ऐसा कुछ नहीं है मौसम तो पहले से ही ख़राब था कोई भी अंदाजा लगा सकता था की बारिश होने वाली है।

दोनों हसी-मजाक करते हुए आराम से उस होटल की तरफ बढ़ रहे थे जहा विवेक ने उनके लिए रूम बुक किया था लेकिन बारिश बहुत तेज़ होने लगी थी और अचानक पेट्रोल भी एंडिंग पर नज़र आने लगा।

विवेक – हे भगवान ये Fuel इतनी जल्दी ख़त्म कैसे हो रहा है।

श्रद्धा – तुमने चलने से पहले चेक नहीं किया था क्या?

विवेक – हां मैंने किया था यार लेकिन अब ये ख़त्म होने वाला है।

विवेक ये देखकर हैरान था की जब टैंक फुल करवाया था तो टैंक अचानक कैसे खाली हो रहा है। बस 5 मिनट और चलने के बाद उसकी कार रुक गयी।

श्रद्धा – क्या हुआ?

विवेक – फिउल ख़त्म हो गया अब हम होटल कैसे पहुंचेंगे।

श्रद्धा – अरे देखो सामने भी एक होटल नज़र आ रहा है।

श्रद्धा ने उस गेट की तरफ इशारा किया जो की कुछ ही कदम की दुरी पर नज़र आ रहा था (होटल मिलांज) उसका नाम पढ़ते ही विवेक के चेहरे पर डर सा दिखने लगा।

श्रद्धा – हां देखो ना कितना अच्छा होटल है आज रात यही रुक जाते है सुबह यहाँ से चेक आउट कर लेंगे।

विवेक पता नहीं होटल में जाने से क्यों कतरा रहा था लेकिन श्रद्धा के आगे उसकी कहा चलने वाली थी और वैसे भी उसके पास वहाँ रुकने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था दोनों कार से उतरे और पानी से बचते हुए उस होटल के अंदर गए। रेसेपशन से उन्हें रूम नंबर 108 की चाभी मिली।

विवेक – कोई और रूम नहीं है, ये 108 ही क्यों दे रहे है।

श्रद्धा – अरे क्या हो गया तुमको रूम नंबर 108 है तो इसमें इतनी घबड़ाने वाली क्या बात है।

विवेक डर रहा था तभी श्रद्धा रेसप्शन से चाभी ले ली और वे दोनों रूम नंबर 108 में पहुंचे।

श्रद्धा – वाओ रूम तो काफी अच्छा है बस अब कुछ खाने को आर्डर कर देती हूँ बहुत जोरो की भूख लगी है।

ये कहते हुए श्रद्धा ने रिसीवर उठाया और रूम सर्विस को आर्डर दिया उन्होंने श्रद्धा को मीनू बताया और श्रद्धा ने आर्डर दे दिया फिर दोनों बैठकर बाते करने लगे कुछ देर बाद डोर बेल बजी और श्रद्धा ने उठकर दरवाजा खोला। रूम सर्विस बॉय ने जैसे ही विवेक को देखा उसके चेहरे का रंग उड़ गया।

सर्विस बॉय – सर आप अच्छा हुआ आप यहाँ आ गए आपको पता भी नहीं है की उस रात के बाद से मेरे साथ क्या-क्या हो रहा है।

सुनकर विवेक चौक गया और श्रद्धा भी हैरान रह गयी।

श्रद्धा – ये तुम क्या कह रहे हो, ये कहकर उसने विवेक से पूछा, ये क्या बोल रहा है क्या तुम पहले भी यहाँ आ चुके हो।

विवेक – नहीं मैं तो यहाँ पहली बार आया हूँ।

विवेक ने सर्विस बॉय से कहा की तुमको कोई गलत फैमि हुयी है।

सर्विस बॉय – नहीं सर मुझे कोई गलत फैमि नहीं हुई है मैं आपको पहचान गया हूँ।

विवेक ने उसकी बात को वही काट कर उसे डाटते हुए कहा तुम खाना देकर यहाँ से जाओ नहीं तो मैं अभी मैनेजर से कहकर तुम्हारी याद दाश ठीक करवा दूंगा। ये सुनकर वो डर गया और खाने की ट्रॉली उनके पास छोड़कर चला गया, श्रद्धा को ये बात बहुत ही अजीब लग रही थी लेकिन फिर भी उसने विवेक से कोई सवाल नहीं किया और दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया।

सर्विस बॉय वहाँ से निकलकर कॉरीडोर से जा रहा था तभी उसको किसी की हसने की आवाज सुनाई दी, (आखिर वो दिन आ ही गया जिसका मुझे इंतजार था) ये सुनकर वो डर गया और पीछे पलटकर देखा तो वहाँ कोई नहीं था।

सर्विस बॉय – अब वह यहाँ आ चूका है तुम अब मुझे डराना छोड़ दो।

भूत – तेरे ज़िंदा रहने से मुझे कोई फायदा नहीं है तू उसको यहाँ लेकर नहीं आया मैंने ही उसको यहाँ रोकने के लिए मजबूर किया अब तेरे जिन्दा रहने का कोई मतलब नहीं।

ऐसा कहकर उसके सामने आ गयी ये लड़की बहुत ही डरावनी लग रही थी उसकी आँखे पिली और चेहरा नीला पड़ा हुआ था वह चिल्लाया लेकिन अगले ही पल वह लड़की उसका गला पकड़ लिया और उसे जमीन से ऊपर उठा दिया और उसके पैर हवा में छटपटा रहे थे और सांस खींचने लगी थी तभी एक झटके के साथ वह लड़की ने उसकी गर्दन घुमाई और धड़ से अलग कर दी।

श्रद्धा – खाना तो बहुत ही टेस्टी था, मैं जरा वाशरूम होकर आती हूँ।

यह कहकर श्रद्धा उठी और वाशरूम में चली गयी। विवेक मोबाइल निकालकर उस होटल में काल करने लगा जहा उसने रूम बुक किया था।

विवेक – यहाँ तो नेटवर्क भी नहीं है आज ये मेरे साथ क्या-क्या हो रहा है।

श्रद्धा – क्या हुआ विवेक तुम इतना परेशान क्यों दिख रहे हो।

ये सुनकर विवेक ने श्रद्धा की तरफ देखा और उसको देखता ही रह गया। उसने रेड कलर टॉप और शार्ट पहनी हुयी थी श्रद्धा उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी।

विवेक – वाओ तुम तो बहुत ही अलग दिख रही हो।

सुनकर वो उसके करीब गयी और उसको गले लगा लिया।

श्रद्धा – विवेक तुम किससे बात कर रहे हो किसी का कॉल आया है क्या?

श्रद्धा की ये आवाज वाशरूम से आ रही थी जिसे सुनकर विवेक हक्का बक्का सा रह गया। अगर श्रद्धा वाशरूम में है तो ये कौन है ये कहकर वह अलग हो गया वो लड़की श्रद्धा नहीं बल्कि वही भूत वाली लड़की थी जिसने कुछ देर पहले वेटर को मारा था उसका भयानक रूप देखकर विवेक डर गया और चिल्ला उठा। उसकी चीख सुनकर श्रद्धा वाशरूम से बाहर निकली और उसको देखकर वो भी डर गयी।

भूत – सर मैंने आपका बहुत ही बेसबरी से इंतजार किया है आज वो दिन आ ही गया।

इतना कहकर उसने विवेक का हाथ पकड़ा और उसको झटका देकर तोड़ दिया और उसकी गर्दन पकड़ी और उसको हवा में ऊपर उठा दिया उसने ट्रॉली पर रखा हुआ काटा उठाया और विवेक के गर्दन पर खचा-खच करके मारने लगी।

विवेक – बचाओ… बचाओ…!

उसके गले से खून निकलने लगा।

भूत – मैं कौन हूँ और तुम्हे मरना क्यों चाहती हूँ अपनी बीबी को बता वरना अभी के अभी तुझे ख़त्म कर दूंगी।

विवेक – बताता हूँ बताता हूँ .. मुझे छोड़ दो नेहा।

श्रद्धा – ये क्या कह रही है विवेक कौन है ये।

विवेक – ये मेरी सेक्रेटरी थी नेहा पिछले साल मैं इसके साथ बिज़नेस मीटिंग के लिए दिल्ली जा रहा था हम एक रात यहाँ रुके थे लेकिन मुझसे एक गलती हो गयी। श्रद्धा – कैसी गलती?

विवेक – मैं अपने रूम सर्विस बॉय को पैसे देकर उसे शराब मंगवाई और फिर रात के टाइम नसे के हालत में मैंने…

श्रद्धा – तुम कितने घटिया इंसान हो विवेक आज पता चल रहा है।

विवेक – सुबह जब मेरी आँख खुली तो ये मेरे बेड पर बैठी रो रही थी इसने मुझे बताया रात क्या हुआ था मैंने इसको चुप करने की कोशिश की और ये भी कहा जितना चाहे पैसा लेलो लेकिन इस बात को यही दबा दो लेकिन इसने एक बात नहीं मानी बल्कि ये कही मुझको इससे शादी करनी पड़ेगी ये मेरे ही सामने पुलिस को कॉल कर रही थी। तभी नेहा की आत्मा ने ट्राली पर से चाकू उठाया और फिर उसके गर्दन पर रखकर बोली “आगे बता”

विवेक – यह मेरे ही सामने पुलिस को कॉल कर रही थी इससे मोबाइल छीनने के चक्कर में इसका सर टेबल से टकराया और इसके सर पर बहुत चोट आयी और यह बेहोश हो गयी थी। खून तब भी बहुत तेजी से बह रहा था मैंने सोचा मैं इसे बचा लिया तो होश में आते ही यह मुझे पुलिस केस में फसा देगी इसलिए मैंने इसको मरने दिया और फिर रूम सर्विस बॉय को और पैसा देकर इसकी लाश को ठिकाने लगा दिया।

श्रद्धा – मुझे खुद पर शर्म आ रही है की मैंने तुम जैसे इंसान से प्यार किया और शादी की।

नेहा – सुन लिया तूने, अब तेरा भी समय आ गया है।

ये कहकर नेहा की आत्मा ने हाथ में पकडे चाकू से एक नहीं बल्कि कई बार विवेक के पेट में घोप दिया और फिर वही चाकू उसके गले पे फेरकर उसको ख़त्म कर दिया। मारने वाला इंसान श्रद्धा का पति था लेकिन फिर भी श्रद्धा के चेहरे पर पति के खोने का गम नजर नहीं आ रहा था नेहा की आत्मा ने श्रद्धा की तरफ देखा तो श्रद्धा बोली।

श्रद्धा – नेहा मैं तुम्हारी मौत की सच्चाई सबके सामने लेकर आउंगी ताकि जो तुम्हारे साथ हुआ वो किसी और के साथ ना हो।

नेहा – ऐसा अब होगा भी नहीं आगे से अब कोई भी लड़का किसी की जिंदगी ख़राब करने के बारे में सोचेगा भी तो उसकी ख्वाइश पूरी करने मैं वापस आउंगी।


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