छोटी बहु की रक्षाबंधन कहानी।

छोटी बहु की रक्षाबंधन कहानी

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छोटी बहु की रक्षाबंधन कहानी - Raksha Bandhan Story In Hindi

Raksha Bandhan Story In Hindi – आज हम भाई-बहन के पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन पर एक बहुत ही सुन्दर कहानी लेकर आये है।

एक समय की बात है किसी नगर में एक शाहूकार के तीन बेटे और तीन बहुये रहती थी साहूकार की सबसे छोटी बहु बहुत शुशील और संस्कारी थी साथ ही वह भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थी। सावन के महीने में शाहूकार की दोनों बहुये रक्षाबंधन के त्यौहार पर अपने-अपने घर जाने की तैयारियां करने लगी। सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम करने लगी तो छोटी बहु ने पूछा क्या बात है दीदी आज इतना जल्दी-जल्दी काम क्यों कर रही हो।

तो उनकी जेठानिया बोली कल रक्षाबंधन का त्यौहार है हम दोनों को अपने भाई को राखी बाँधने अपने-अपने घर जाना है तेरा तो कोई भाई नहीं है तू क्या जाने रक्षाबंधन का महत्व, भाई-बहन के रिश्ते का महत्व। छोटी बहु को ये बात बहुत बुरी लगी और वह भगवान श्री कृष्ण के प्रतिमा के पास खड़ी होकर खूब रोई और बोली यदि मेरा कोई भाई होता तो आज मै भी अपने घर जाती।

अगले दिन रक्षाबंधन का त्यौहार था सुबह-सुबह उसके घर उसके दूर के रिश्ते का एक भाई आया और आकर शाहूकार से बोला ये मेरी बहन है मै इसके दूर के रिश्ते का भाई हूँ और मै रक्षाबंधन के त्यौहार पर इसको अपने घर ले जाने आया हूँ। लेकिन फिर शाहूकार का बेटा बोला लेकिन इसका तो कोई भाई नहीं है तुम कौन हो। उसके समझाने पर शाहूकार और उसका बेटा मान गया और छोटी बहुत को उसके साथ भेजने के लिए तैयार हो गए।

परन्तु छोटी बहु के पति के मन में कुछ संका थी वो बोला आप इसे ले तो जाईये लेकिन इसे वापस लेने मै खुद आऊंगा ऐसा कहकर उसको उसके भाई के साथ भेज दिया। रास्ते में चलते-चलते छोटी बहु ने अपने भाई से कहा भैया तुम इतने सालो तक कहा थे और पहले मुझसे रक्षाबंधन पर कभी राखी बधवाने क्यों नहीं आये तो उसका भाई बोला बहन मै सात समुन्दर पार प्रदेश में कमाने गया था।

अब वह दोनों अपने घर पहुंचे तो घर में भाभी में अपने ननद का स्वागत किया खूब औभगत की फिर उन्होंने रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया ऐसे ही हसी ख़ुशी समय बीत गया। एक छोटी बहु का पति उसे लेने उसके घर आया महल जैसा घर और ऐसो आराम देखकर वो चकित रह गया भाई और भाभी ने उसका खूब औभगत करी और अगले दिन सुबह-सुबह भाई और भाभी ने उसे उसके घर के लिए रवाना किया।

विदा करते समय उसे खूब सोना चाँदी हिरे दिए थोड़ी दूर जाने पर छोटी बहु का पति बोला अरे मै गलती से अपना कुर्ता वही भूल आया हूँ तब वह बोली कोई बात नहीं आपका कुर्ता तो पुराना था इतनी दूर वापस जायेंगे तो घर पहुंचते-पहुंचते अँधेरा हो जायेगा लेकिन उसका पति बोला नहीं मै वापस जाकर अपना कुर्ता ले ही आता हूँ।

ऐसा कहकर वो दोनों अपने भाई के घर वापस गए जैसे ही भाई के घर के पास पहुंचे तो वह उन्होंने देखा भाई के महल जैसे घर के जगह पीपल का एक पेड़ है और उस पेड़ पर छोटी बहु के पति का कुर्ता टंगा है यह देखकर वह बहुत नाराज़ हुआ और अपनी पत्नी से बोला ये क्या काला जादू है कौन था वो जो तेरा भाई बनकर तुझे यहाँ लेकर आया था।

मुझे तो सुरु से ही सक था इसीलिए मै तुझे लेने आया था बता कौन था वो ऐसा कहकर वो छोटी बहु को मारने लगा इतने में तेज़ प्रकाश के साथ भगवान श्री कृष्ण वहा स्वयं प्रकट हुए और बोले मत मारो इसे ये मेरी बहन है हर साल रक्षाबंधन के त्यौहार पर ये मुझे राखी बांधते आयी है और अब मैंने इसका भाई होने का फ़र्ज़ निभाया है इसे मैंने अपनी बहन माना है। छोटी बहु और उसका पति हाथ जोड़कर श्री कृष्ण के चरणों में गिर गए और फिर सब खुशी से रहने लगे।


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